नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अगुवाई में 17 सितंबर, 2021 को जीएसटी परिषद की 45वीं बैठक होगी। कोरोना काल में कई लोगों ने बाहर रेस्तरां में जाकर खाना खाने के बजाय घर पर खाना ऑर्डर किया। लेकिन अब ऑनलाइन फूड डिलीवरी महंगी हो सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जीएसटी परिषद इस पर विचार करेगी। कमिटी ने फूड डिलीवरी एप्स को कम से कम पांच फीसदी जीसएटी के दायरे में लाने की सिफारिश की है। ऐसे में ग्राहकों को स्विगी, जोमैटो, आदि से खाना मंगाना महंगा पड़ सकता है।
2019-20 और 2020-21 में दो हजार करोड़ रुपये के जीएसटी घाटे का अनुमान लगाते हुए, फिटमेंट पैनल ने सिफारिश की है कि फूड एग्रीगेटर्स को ई-कॉमर्स ऑपरेटरों के रूप में वर्गीकृत किया जाए और संबंधित रेस्तरां की ओर से जीएसटी का भुगतान किया जाए। कई रेस्तरां जीएसटी का भुगतान नहीं कर रहे हैं, जबकि कुछ पंजीकृत भी नहीं हैं। रेट फिटमेंट पैनल ने सुझाव दिया है कि यह बदलाव एक जनवरी 2022 से प्रभावी हो सकता है।
इसके साथ ही एक या एक से अधिक पेट्रोलियम पदार्थों- पेट्रोल, डीजल, प्राकृतिक गैस और एविएशन टर्बाइन फ्यूल (विमान ईंधन) को भी जीएसटी के दायरे में लाया जा सकता है। केरल हाईकोर्ट की ओर से पेट्रोल व डीजल को जीएसटी के दायरे में लाए जाने के निर्देश के बाद जीएसटी परिषद के समक्ष यह मामला शुक्रवार को लाया जाएगा।