कलयुग में सबसे बड़ा तप स्वाध्याय है : आचार्यश्री विशुद्ध सागर जी महाराज

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रायपुर। सन्मति नगर फाफाडीह में चर्या शिरोमणि आचार्यश्री विशुद्ध सागर जी महाराज के ससंघ सानिध्य में पर्वाधिराज पर्युषण पर्व में तप,त्याग,भक्ति,स्वाध्याय सहित धर्म व ध्यान की अविरल धारा बह रही है। रोजाना 13 राज्यों से हजार से अधिक गुरु भक्त एवं दिगंबर जैन समाज रायपुर के गुरु भक्त बड़ी संख्या में शामिल हो रहे हैं। पर्युषण पर्व के सातवें दिन उत्तम तप धर्म की आराधना की गई। गुरु भक्तों ने मुनि संघ की 1008 दीपकों से भव्य आरती कर आशीर्वाद प्राप्त किया।संध्या के समय एक साथ प्रज्वलित 1008 दीपकों की रौशनी से जगमग विशुद्ध देशना मंडप की चमक ने सभी को भक्ति में भाव विभोर कर दिया।

आचार्यश्री ने धर्मसभा में कहा कि कलयुग में सबसे बड़ा तप स्वाध्याय है। सभी को जीवन में स्वाध्याय करना चाहिए। जिनकी घनघोर तपस्या है उतना घनघोर आध्यात्म जीवन होना चाहिए। जीवन के स्वाहा होने से पहले आगम ग्रंथों का अवलोकन और अध्ययन करना चाहिए। वे लोग पुण्य क्षीण हैं जिनका मंदिर का नाम सुनकर पैर टूट जाए, गुरु के दर्शन लिए आंख फूट जाए, अभिषेक करने के भाव आते ही हाथ टूट कर गिर जाए,जिनवाणी के स्वाध्याय के लिए बुद्धि भ्रष्ट हो जाए। जिनको वंदना के भाव,आगम समझने का विवेक, गुरु चरणों में पहुंचने के भाव आ जाएं, जिनवाणी पढ़ने के लिए आंखें खुल जाए व बुद्धि मचल जाए ऐसे लोग संसार में सर्वश्रेष्ठ पुण्यात्मा जीव है।

आचार्यश्री ने कहा कि कर्म क्षय के लिए तपने का नाम तप है,जहां इच्छाओं का निरोध है उसका नाम तप है, जहां विषय कषायों का दमन,इंद्रिय विषय कषायों का नियंत्रण, ध्यान व स्वाध्याय की लीनता, निर्वेग भाव है,इससे युक्त आत्मा को जो भाता है उसका नाम उत्तम तप धर्म है। धन्य है मुनिराज जिन्होंने भोगों की भट्टी में न जाकर योग को धारण किया। जब तक शरीर स्वस्थ है उपवास भी होगा विहार भी होगा। वृद्ध अवस्था में खड़े भी नहीं रहा जाता तो उपवास और विहार कैसे होगा। मुनि दीक्षा लेना प्रायश्चित है, कोटि-कोटि भवों में जिन विषय भोगों की ज्वाला की भट्टी में झुलसे थे,उन पापों का प्रायश्चित दिगंबर दीक्षा में होता है। इंद्रिया स्वस्थ है तब तक तपस्या कर लो,वृद्ध अवस्था में कुछ नहीं कर पाओगे, वृद्ध अवस्था में केवल समाधि की तपस्या होती है।

आचार्यश्री ने कहा कि अनशन पहला तप है। चारों प्रकार के भोजन पानी का त्याग कर देना अनशन तप है। मुनिराजों की तपस्या को नमन है जो 56 प्रकार के भोजन लगने के बाद भी छोड़ कर चले जाते हैं। जबकि भोजन के समय लोगों की जीभ लपलपाती है। मुनिराजों का ऐसा अनशन तप कि सूर्य तप रहा है,धरती झुलस रही है, पेट में ज्वाला फूट रही है तब भी स्वाध्याय के बल पर तपस्वी तपस्या कर रहा है, इसलिए सबसे पहले अनशन तप है। जिनकी रसना नियंत्रित होगी वह शेष तपस्या कर सकता है। भूख से कम खाना चाहिए हमेशा स्वस्थ रहोगे,ये ऊनोदर तप है।

सब छोड़कर अपनी स्व आत्मा में लीन होना ही मुक्ति है : मुनिश्री यत्न सागर जी

मुनिश्री यत्न सागर जी ने कहा कि आचार्य भगवंतों ने मुक्ति प्राप्ति के लिए धर्म का स्वरूप कहा है। जो संसार में मुक्ति व भुक्ति चाहते हैं वे प्रभु भक्ति से गुरु भक्ति में लीन हो जाएं। एक दिन ऐसा आता है जब सब कुछ छोड़ कर अपनी स्व आत्मा में लीन होना है मुक्ति है। सत्यार्थ जो है वह धर्म है, धर्म करने का विषय नहीं है, धर्म स्वीकार करने का विषय है। जैसे पानी को शीतलता लानी नहीं पड़ती,अग्नि को उष्णता लानी नहीं पड़ती, ऐसे ही जीव को ज्ञानदर्शन कहीं से लाना नहीं पड़ता, क्षमा आदि गुण कहीं से लाना नहीं पड़ता। जो वस्तु कहीं से लानी पड़ती है वह धर्म नहीं होती। जैसे क्षमा आती नहीं क्रोध आता है और जो आता है वह मेरा होता नहीं,जो मेरा होता है उसे कहीं से लाया नहीं जाता है। पानी को उष्ण करना है तो अग्नि का ससंयोग चाहिए लेकिन पानी को शीतल करना है तो कुछ नहीं चाहिए। पानी को चूल्हे से उतारकर नीचे रख दो तो समय में पानी अपने स्वभाव में आ जाता है।

गुरु भक्तों ने आचार्यश्री का पाद प्रक्षालन और शास्त्र भेंट कर लिया आशीर्वाद

विशुद्ध वर्षा योग समिति के अध्यक्ष प्रदीप पाटनी और महामंत्री राकेश बाकलीवाल ने बताया कि आज मंगलाचरण प्रितेश जैन वरायठा ने किया। दीप प्रज्वलन हरदा,भोपाल, शहडोल, ग्वालियर, गुडगांव, करनाल,पुणे, गाजियाबाद, दिल्ली,मुंबई, नोएडा, कोलकाता, जबलपुर के भक्तगण एवं रौनक पापड़ीवाल गया ने किया। आज श्रीजी के अभिषेक के पुण्यार्जक धर्मचंद उषा जी गंगवाल रायपुर,राजकुमार जैन बिलासपुर,देवकुमार, दिलीप, प्रदीप, प्रवीण, वरुण, तरुण, जावर हैं। शांतिधारा के पुण्यार्जक रतनचंद जी अतुल कुमार अतिशय जैन भिंड, माया संजय जैन वैशाली नगर, मुन्नी जैन दिनेश जैन फाफाडीह,किरण, पवन, अमित, अखिल,आशीष समस्त मुंगेली परिवार,बंशीलाल सन्मति टैगोर नगर हैं। अभिषेक व शांतिधारा करने वाले पुण्यार्जकों एवं नरेंद्र गुरुकृपा रायपुर ने आचार्यश्री को श्रीफल भेंट कर आशीर्वाद प्राप्त किया। नरेंद्र गुरुकृपा आचार्य गुरुवर 108 विराग सागर जी के दीक्षित सम्पूर्ण संघ का आगामी 2023 में यति सम्मेलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे हैं। आचार्यश्री को शास्त्र भेंट रीना महेंद्र कुमार अजमेरा परिवार हरदा,विमला बेन छिंगेलाल जैन अहमदाबाद, पर्व,मुकेश, शिल्पी पंचोली परिवार तिलक नगर इंदौर,ब्रजपुर समाज ने किया। आचार्यश्री का पाद प्रक्षालन अक्षर जैन विमला जैन उज्जैन ने किया। कार्यक्रम का संचालन अरविंद जैन और दिनेश काला ने किया। कार्यक्रम के अंत में जिनवाणी मां की स्तुति और अर्घ्य पठन किया गया।


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